क्या प्रेगनेंसी में मीठा खाना ठीक है और किन मीठी चीज़ों से बचना चाहिए? (Is it okay to eat sweets during pregnancy, and which sweet foods should be avoided?)
प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को अक्सर मीठा खाने की तलब लगती है। यह तलब हार्मोनल बदलाव, थकान या मूड स्विंग्स के कारण हो सकती है। हालांकि मीठा खाना पूरी तरह से मना नहीं है, लेकिन इसे संतुलित मात्रा में ही खाना चाहिए। ज्यादा मीठा खाने से कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं जो मां और शिशु दोनों को प्रभावित कर सकती हैं।
प्रेगनेंसी में अधिक मीठा खाने के खतरे
गेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational Diabetes)
यह एक प्रकार की डायबिटीज है जो सिर्फ प्रेगनेंसी के दौरान होती है और अगर समय पर कंट्रोल न किया जाए, तो मां और बच्चे दोनों पर इसका बुरा असर हो सकता है |
शिशु का वजन सामान्य से ज्यादा होना
अधिक मीठा खाने से शिशु का वजन जन्म के समय सामान्य से ज्यादा हो सकता है, जिससे नार्मल डिलीवरी में परेशानी आ सकती है।
जरूरत से ज्यादा वजन बढ़ना
अगर मीठा ज्यादा खाया जाए तो शरीर में अतिरिक्त कैलोरी जमा होती है, जिससे वजन असामान्य रूप से बढ़ सकता है। इससे डिलीवरी के समय जटिलताएं बढ़ सकती हैं।
थकान और मूड स्विंग्स
मीठा खाने से शरीर को तुरंत ऊर्जा मिलती है, लेकिन थोड़ी देर बाद ऊर्जा गिर जाती है, जिससे थकावट और चिड़चिड़ापन हो सकता है।
प्रेगनेंसी में किन मीठी चीज़ों से बचना चाहिए ?
- रिफाइंड शुगर वाले उत्पाद : जैसे बिस्किट, केक, मिठाई, कैंडी, चॉकलेट, और शक्कर वाली ड्रिंक्स। इनमें फाइबर और पोषक तत्व नहीं होते, सिर्फ खाली कैलोरी होती है।
- बाजार की मिठाइयाँ और डेजर्ट : इनमें कई बार प्रिज़र्वेटिव, आर्टिफिशियल फ्लेवर और कलरिंग एजेंट होते हैं जो गर्भ में पल रहे शिशु के लिए सुरक्षित नहीं होते।
- बेकरी आइटम्स : जैसे डोनट्स, पेस्ट्री, और अन्य प्रोसेस्ड डेज़र्ट जिनमें ट्रांस फैट और अधिक चीनी पाई जाती है।
- आर्टिफिशियल स्वीटनर : कुछ शुगर-फ्री प्रोडक्ट्स में ऐसे केमिकल्स होते हैं जो भ्रूण के लिए सुरक्षित नहीं माने जाते। बिना डॉक्टर की सलाह के इन्हें न लें। सैकरिन (Saccharin) – इससे बचे, एस्पार्टेम और स्टेविया – डॉक्टर की सलाह से ही उपयोग करें|
प्रेगनेंसी में मीठे के सुरक्षित विकल्प
- ताजे फल: जैसे सेब, केला, पपीता, आम, अंगूर और बेरीज़। ये प्राकृतिक मिठास के साथ फाइबर, विटामिन और मिनरल्स भी देते हैं।
- सूखे मेवे : जैसे किशमिश, खजूर, अंजीर – थोड़ी मात्रा में लिए जाएं तो ये न केवल मीठे की तलब शांत करते हैं बल्कि पोषक तत्व भी प्रदान करते हैं।
- गुड़ और शहद : सीमित मात्रा में इन्हें लिया जा सकता है। गुड़ आयरन का अच्छा स्रोत होता है और शहद में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं।
- घर का बना हलवा या खीर: अगर इसमें कम चीनी और कम घी का इस्तेमाल हो तो यह स्वाद और सेहत दोनों के लिए बेहतर हो सकता है।
- ओट्स या दलिया : इन्हें फलों या सूखे मेवों के साथ पकाकर मीठे का हेल्दी विकल्प बनाया जा सकता है।
जरूरी सावधानियाँ
मीठा खाने की इच्छा होने पर सबसे पहले एक गिलास पानी पिएं, यह क्रेविंग को कम कर सकता है। नियमित अंतराल पर डॉक्टर से ब्लड शुगर की जांच करवाते रहें। शारीरिक गतिविधि जैसे हल्की वॉक से भी शुगर को संतुलित रखा जा सकता है। यदि डायबिटीज़ की फैमिली हिस्ट्री हो तो मीठा खाने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
निष्कर्ष
प्रेगनेंसी में मीठा खाना पूरी तरह से मना नहीं है, लेकिन संतुलन बनाए रखना जरूरी है। प्राकृतिक और घरेलू विकल्पों को प्राथमिकता दें और प्रोसेस्ड तथा रिफाइंड शुगर से बनी चीज़ों से बचें। सही खानपान से न केवल मां की सेहत बेहतर रहती है, बल्कि शिशु भी स्वस्थ रूप से विकसित होता है।